गुरुभक्त, त्याग, तपस्या के साक्षात विग्रह अनन्तश्री विभूषित स्वामी अच्युतानन्द तीर्थ जी महाराज का प्रकाट्य वि0सं0-2011 भाद्रपक्ष कृष्णपक्ष पंचमी दिनांक-19.08.1954 को मुरादाबाद जनपद में हुआ। भूमा निकेतन से सम्बन्धित सभी संस्थाओं का उत्तरदायित्व जगतगुरु शंकराचार्य अनन्तश्री विभूषित स्वामी अच्युतानन्द तीर्थ जी महाराज को सन् 1986 में महाराजश्री स्वामी भूमानन्द तीर्थ जी ने सौंप दिया व हरिद्वार से विरक्त होकर काशी में रहने चले गये।
चाहे कितनी भी कठिन परिस्थितियों क्यों न हो स्वामी जी की धर्म आचरण, धार्मिक मूल्यों पर भक्तों, सेवकों, सन्तों एवं महात्माओं को किसी प्रकार का कोई समझौता नही करने देते।
संस्था का धार्मिक जगत एवं प्रशासन में अतिविशिष्ट स्थान है।महाराजश्री कुशाग्र बुद्धि, अदम्य साहसी, धैर्यवान, परम गुरुभक्त, करुणासागर, दुःखियों की सहायता में तत्पर तथा भक्त वत्सल है। अनन्तश्री विभूषित स्वामी अच्युतानन्द तीर्थ जी महाराज ने रामकृष्ण परमहंस की भाँति गुरु तथा स्वामी विवेकानन्द की भाँति शिष्य का उदाहरण जनता के सम्मुख शिक्षार्थ प्रस्तुत किया है।
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