आश्रम की गौशाला
गावो विश्वस्य मातरः –
गौ माता रक्षा-सुरक्षा महायोजना
श्री स्वामी भूमानन्द नगर
रानीपुर झाल, ज्वालापुर, हरिद्वार, उत्तराखंड
परमात्मा के द्वार तक प्रवेश करने का सुगम मार्ग सम्पूर्ण पवित्रता और श्रद्धा उसका आधार है। भारत वर्ष की संस्कृति में गऊ की रक्षा-सुरक्षा और अविरल गंगा जीवन दायिनी है। इन दोनों का महत्त्व प्रत्येक संस्कार युक्त भारतीय के जीवन की पद्धति है। गऊ का विश्व के पशुओं में ऐसा महत्त्व है कि जिसका संसार के किसी भी पशु को प्राप्त नही है, जिसके दूग्ध, गोबर, मूत्र और शरीर में गन्ध-सुगन्ध है। उसके शरीर का प्रत्येक अंग मनुष्य के लिए उपयोगी है। आने वाले समय में पैट्रोल, डीजल के अभाव में गऊ वंश ही ऊर्जा का एक मात्र श्रोत होगा। अब से 100 वर्ष पूर्व तक भारत की कृषि का महत्त्व चेतक गऊवंश पर आधारित था।
सर अलवर्ट हार्वर्ड ने अपने An Agricultural testament में ट्रेक्टर से खेती करने की हानि दिखायी है। आपने सिखाया है निथोर्ड और बैल के बदले बिजली की मोटर और तेल वाले इंजन से खेती करने में हानि यह है कि इन मशीनों से न तो गोबर मिल सकता है और न ही ही गाय का मूत्र। सन् 1929 में भारत के बारे में रायल कमीशन ने भी लिखा है कि गाय और बैल अपनी पीठ पर हमारी अर्थव्यवस्था का पूरा भार उठायें हुए है।
उपरोक्त बातों को ध्यान रखते हुए प्रत्येक भारतीय से अनुरोध है कि हर भारतीय को एक गाय पालनी चाहिए।