आश्रम की विशिष्ट जानकारी

सिद्धपीठ भूमा निकेतन आश्रम की स्थापना अनन्तश्री विभूषित दण्डी स्वामी भूमानन्द तीर्थ जी द्वारा माता चम्पा देवी द्वारा दिये गये भूखण्ड पर सप्त सरोवर मार्ग, भूपतवाला, हरिद्वार में की गई थी।

भूमा निकेतन आश्रम एवं इसकी शाखाओं की गतिविधियाँ:-

  1. यात्री व्यवस्था-इसमें यात्रियों के भोजन एवं ठहरने हेतु लगभग 100 साधारण एवं वातानुकूलित कमरे है तथा जो यात्री अपने वाहनों से आश्रम में आते है उनकी पार्किंग की उचित व्यवस्था है।
  2. आश्रम में लगभग 400 व्यक्तियों की बैठने की क्षमता वाला एक हाॅल है, जिसमें एक मंच, लाईट, सांउड, सजावट इत्यादि की पूर्ण रूप से व्यवस्था है। यहाँ पर धार्मिक आयोजन जैसे – श्रीमद् भागवत कथा, प्रवचन, सत्संग, कीर्तन इत्यादि होते रहते है और जो भी सज्जन/संस्थायें इस सुविधा लाभ उठाना चाहते है वें संस्था के प्रबन्धक से निम्न पते पर सम्पर्क कर सकते है (मो. 91-9837094933)। हाॅल खाली होने पर आपको सूचना दे दी जायेगी।
  3. कार्यक्रमों के दौरान प्रसाद, भण्डारे आदि की पूर्ण व्यवस्था है। भण्डारे में विद्यार्थी, ब्राह्मण, सन्यासी एवं दण्डी स्वामी को निमन्त्रण की सुविधा है।
  4. संस्था में धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जैसे-गुरु पूर्णिमा, प्रकाश उत्सव (ब्रह्मलीन स्वामी भूमानन्द तीर्थ जी महाराज का प्रकट उत्सव), निर्वाण दिवस उत्सव इत्यादि।
  5. धार्मिक अनुष्ठान (जनेऊ संस्कार, जन्मोत्सव) कराने की सम्पूर्ण व्यवस्था है। पुजारी, वेदपाठी ब्राह्मण इत्यादि एवं पूजा सम्बन्धित समस्त सामग्री सुलभ है।
  6. आश्रम की अधिष्ठात्री देवी माँ भगवती पराम्बा त्रिपुरसुन्दरी राजराजेश्वरी है जिसकी स्थापना ब्रह्मलीन स्वामी भूमानन्द तीर्थ जी महाराज की प्रेरणा से श्री सुभाषचन्द्र गोयनका जी ने सभी शंकराचार्यों की उपस्थिति में सन्-1986 में कराई थी, उस समय श्री सुभाषचन्द जी गोयनका जी0टी0वी0 के मालिक नही थे, परन्तु देवी माँ भगवती पराम्बा त्रिपुरसुन्दरी राजराजेश्वरी की कृपा से उनका व्यापार बहुत बढ़ गया और जी0टी0वी0 के मालिक बन गये। ऐसे ही बहुत से भक्तों ने पूजा कर इसका लाभ उठाया है। यह सिद्धपीठ है, आप भी पूजा कर इसका लाभ उठा सकते है।
  7. संस्था में पारद शिवलिंग का मन्दिर है। इस शिवलिंग पर श्रावण के महीने में पूजा व रुद्राभिषेक सम्पन्न कराने से मानोवांछित फल मिलता है। आश्रम के भक्त हर वर्ष यहाँ अभिषेक कराते रहते है।
  8. संस्था में कालभैरव का मन्दिर भी है और कालभैरव ब्रह्मलीन स्वामी भूमानन्द तीर्थ जी महाराज के सिद्धदेवता है।
  9. चातुर्मास में देश के विभिन्न भागो से दण्डी स्वामी यहाँ आकर चातुर्मास करते हैं। संस्था उनके ठहरने खाने-पीने की समुचित व्यवस्था करती है। इस दौरान दण्डी स्वामी आश्रम में ही रहते है तथा अपनी पूजा-पाठ में संलग्न रहते है। जिनका सानिध्य आश्रम में ठहरने वाले सभी भक्तों एवं सेवकों को प्राप्त होता है, जो हम सबके लिए कल्याण कारक है।
  10. संस्था लगभग 500 संन्यासीयों और महात्माओं को सुबह और शाम चाय, हलवा, पकौडे इत्यादि प्रसाद के रूप में वितरण करती है।
  11. आश्रम भवन में एक श्री स्वामी भूमानन्द धर्मार्थ नेत्र चिकित्सालय संचालित है, जिसमें अत्याधुनिक मशीनों द्वारा आखों का सम्पूर्ण इलाज किया जाता है।
  12. स्वचालित धार्मिक झाकियाँ बच्चों एवं यात्रियों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है।
  13. संस्था गंगा के निकट होने के कारण संस्था ने गंगा तट पर श्री स्वामी भूमानन्द पक्का घाट बनाया है। जहाँ पर हजारों यात्री एक साथ स्नान कर सकते है तथा गीले कपडे बदलने के लिए स्त्री/पुरुषों के लिए अलग-अलग व्यवस्था है गंगा तट पर ही प्रातः-सायं गंगा जी की आरती होती है, दोपहर में भोग लगाया जाता है, यहीं निकट में भूमा उपवन भी है जिसका यात्री आनन्द ले सकते है।
  14. यात्रीयों के ठहरने के लिए संस्था की एक शाखा हरकी पैड़ी के समीप श्री शंकराचार्य सत्संग भवन के नाम से है, जहाँ पर यात्रियों के ठहरने के लिए हर आवश्यक सुविधा जैसे- इन्टरनेट, फैक्स एवं टेलीफोन आदि उपलब्ध है।
  15. श्री स्वामी भूमानन्द धर्मार्थ चिकित्सालय एवं शोध संस्थान, रानीपुर झाल, ज्वालापुर, हरिद्वार में संस्था द्वारा संचालित 150 शैय्याओं का चिकित्सालय है, जिसमें सभी प्रकार का ईलाज संतोषजनक ढंग से किया जाता है।
  16. संस्था द्वारा संचालित श्री स्वामी भूमानन्द काॅलेज आॅफ नर्सिंग जिसमें बी0एस0सी0, जी0एन0एम0 एवं ए0एन0एम0 आदि नर्सिंग पाठ्यक्रम चलाये जा रहे हैं।
    (अधिक जानकारी के लिए- )
  17. संस्था निरन्तर गौ सेवा में लगी हुई है। संस्था की गौशाला में लगभग 200 गायें है, जिनके लिए हरा चारा, भूसा, खली, चूरी, चैकर इत्यादि की व्यवस्था रहती है तथा पशु चिकित्सक गायों की नियमित जाँच करते रहते है। इनसे आश्रम के महात्माओं एवं विद्यार्थियों के लिए दूध की आपूर्ति होती है।
  18. भूमा कृषि फार्म में गायों के लिए हरा चारा और विभिन्न फसलें बोई जाती है, जिनसे आश्रम की आपूर्ति होती है।
  19. संस्था की एक शाखा आदिगुरु शंकराचार्य पीठम्, दण्डी आश्रम, 2183-यमुना बाजार, दिल्ली में है। जहाँ पर दण्डी स्वामी, आश्रम के भक्तों एवं सेवकों की ठहरने की उचित व्यवस्था है।
  20. संस्था की शाखा कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में भी है। जहाँ पर प्रवास करने की व्यवस्था है।
  21. संस्था की एक शाखा केदारघाट, वाराणसी भूमा अध्यात्मपीठ है, जहाँ पर यात्रीयों के ठहरने की उचित व्यवस्था, अनुष्ठान पूजन, श्रीमद् भागवत कथा एवं प्रवचन आदि निरन्तर होते रहते है।
  22. संस्था द्वारा संचालित, अद्भुत मन्दिर हरिपुर कलां में स्थित है ऐसा आलौकिक मन्दिर पूरे भारत में शायद ही कहीं देखने को मिले। यहाँ पर माणिक्य के सूर्य, नीलम के शिवलिंग, प्रवाल (मूंगा) के विनायक मूर्ति आदि यहाँ के विशिष्ट आकर्षण है। अद्भुत मन्दिर, हरिपुर कलां में 5000 व्यक्तियों के बैठने की व्यवस्था के लिये एक सुसज्जित सभागार उपलब्ध है। इस हाॅल को कीर्तन, श्रीमद् भागवत कथाओं, धार्मिक आयोजन एवं सभाओं के लिये उपयोग किया जा सकता है। इसमें कोई शुल्क निर्धारित नही है। इसकी व्यवस्था स्वेच्छा से दिये गये धन से संचालित होती है। यहाँ पर होने वाले आयोजनों के लिये आवश्यकतानुसार सात्विक भोजन की व्यवस्था है।
  23. सभागार के साथ आगन्तुको के ठहरने की भी समुचित व्यवस्था है, जिसे भी स्वेच्छा से दी गई धनराशि से चलाया जाता है, साधना के इच्छुक, साधना व ध्यान के लिये लम्बे समय तक प्रवास कर सकते है। यह व्यवस्था भी स्वेच्छा से दी गई धनराशि से संचालित है।
  24. गम्भीर बीमारियों के लिये संस्था के पीठाधीश्वर स्वामी जी स्वयं परामर्श देकर आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के समायोजन का सहयोग प्रदान करते है।
  25. जन साधारण की प्रत्येक समस्या का योग, साधना, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा एवं ज्योतिष के माध्यम से समाधान का प्रयास किया जाता है।
  26. इस संस्थान में आयुर्वेद, अध्यात्म, तन्त्र-मन्त्र आदि की दुर्लभ पुस्तकें उपलब्ध है। पूर्व सूचना के बाद उपरोक्त दुर्लभ पुस्तकें उसी स्थान पर अवलोकनार्थ उपलब्ध हो सकेगी।
  27. संस्था कुम्भ मेलों में शिविर लगाती है, जिसमें भक्तों को स्टेशन/बस स्टेण्ड से लाना ले जाना, आवास, सुरक्षा, स्वास्थ्य, बड़े पर्वो पर स्नान आदि की समुचित व्यवस्था की जाती है। कुम्भ में शाही सवारी निकलती है। इच्छुक सज्जन इसके लिए संस्था से सम्पर्क कर सकते है।
  28. संस्था द्वारा देश के सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों पर धार्मिक कथा एवं प्रवचनों के आयोजन समय-समय पर कराये जाते है। इसमें हरिद्वार से वहाँ तक आने-जाने, भोजन एवं आवास की पूरी व्यवस्था होती है। भक्तों की सभी सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है।
  29. धार्मिक यात्राओं के अतिरिक्त संस्था साहसिक यात्रायें भी कराई जाती है, जिसका संचालन स्वयं सिद्धपीठ भूमा निकेतन न्यास संस्थानम् के पीठाधीश्वर अनन्तश्री विभूषित स्वामी अच्युतानन्द तीर्थ जी महाराज करते है। जैसे-कारगिल यात्रा, गौमुख से गंगासागर यात्रा इत्यादि।
  30. धार्मिक यात्राओं एवं संस्था की कार्यकलापों की फोटो गैलेरी।
  31. भविष्य की योजनाऐ।

यह संस्था अध्यात्मिक, सामाजिक, शिक्षा एवं जन साधारण के स्वास्थ्य के कार्यक्रम भी चलाती है जो सज्जन इसमें भागीदार बनना चाहते है वो संस्था से सम्पर्क कर भागीदार बने तथा तन-मन-धन से सहयोग कर पुण्य के भागी बने।
यह संस्था Income Tax Act-80G में रजिस्टर्ड है, आप इसका भी लाभ उठा सकते है।

 

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