आदि शंकर दिग्विजय पंचांग
विक्रमी सम्वत् 2071 शाके 1936 सन् 2014- 2015
राजा – chandra, मन्त्री – chandra, संवत्सर – palvang
अचिन्त्याव्यक्त रूपाय निर्गुणाय गुणात्मने।
समस्त जगदाधार मूर्तये ब्रह्मणे नम: ।।
ज्योतिष शास्त्र प्रत्यक्ष फल देने वाला है, ‘‘प्रत्यक्षं ज्योतिष शास्त्रं’’ किन्तु इस शास्त्र में सूक्ष्म अध्ययन और अनुशीलन की आवश्यकता है। हमारे मनीषी ऋषि-मुनियों ने ही इस शास्त्र का अविष्कार किया था, किन्तु सम्प्रति खेद का विषय है, कि हम भारतीयों की असावधानता और उपेक्षा वृत्ति से यह विज्ञान विदेशियों के हाथ लगा। उन्होंने इसे अपनाकर, इसका महत्व व उपयोगिता जानकर अद्भुत नाम व यश प्राप्त किया, किन्तु इसके उद्गम स्थान भारत की बड़ी शोचनीय दशा है कि इस विज्ञान का यहॉ अनुसंधान तो कोई करता नहीं, बल्कि इस पर कुठाराघात करने में सभी तत्पर रहते हैं।
मायापुरी हरिद्वार में एक मात्रा आदि शंकराचार्य की परम्परा से उपलक्षित पीठ भूमा निकेतन मॉं भागीरथी के पावन तट पर स्थित है। इस पीठ के पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित स्वामी श्री अच्युतानन्द तीर्थ जी महाराज का ज्योतिष शास्त्र के प्रति अत्यधिक रुचि व विश्वास है, स्वयं को ज्योतिष विद्या का अनुभव व शताधिक बार ‘‘प्रत्यक्ष’’ प्रमाण भी प्राप्त किये हैं। आप अपने कार्य प्रात: काल से लेकर रात्रि शयन तक तथा यज्ञ, अनुष्ठान, कथा, प्रवचन, निर्माण कार्य, देवकार्य आदि का मुहूर्त अवलोकन करके ही प्रारम्भ करते हुए ज्योतिष शास्त्र के प्रचार-प्रसार के लिए अहर्निश प्रयत्नशील है।
प्रस्तुत आदि शंकर दिग्विजय पंचांग पूज्य गुरुदेव अनन्त श्री विभूषित स्वामी श्री भूमानन्द तीर्थ जी महाराज की पुण्य स्मृति में, संरक्षक ब्रह्मर्षि स्वामी श्री जी महाराज की प्रेरणा से आप श्री ने सरल साधारण शब्दों का प्रयोग करके इसका प्रकाशन किया है, जिससे साधरण जनता भी इस पंचांग के आधार से बड़ी सुगमता पूर्वक अपना मार्ग स्वयं आलोकित कर सकती है। माननीय ज्योतिर्विद विद्वत्` मण्डल से सानुरोध प्रार्थना है, कि यत्र कुत्रापि देश कालानुसार संशोधन की आवश्यकता हो तो तदनुसार सुधार करें।
शुभ कामनाओं के साथ
सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मां कश्चिद् दु:खभाग्भवेत्।।
विक्रम सम्वत् 2067 में सम्वत्सर, राजा, मंत्री का संक्षिप्त फल |
गंडमूल नक्षत्र |
पंचांग 4 जुलाई 2012 से 10 अप्रेल 2013 तक |
संवत् 2067 (सन् 2010-11) में पृथ्वी में कुल चार ग्रहण घटित होंगे… |
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